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DCA AND PGDCA
Computer Software and Hardware Course
टैली प्राइम क्या है? Tally Prime यह Tally ERP 9 का नवीनतम संस्करण है, टैली प्राइम एक accounting software है जिसे Tally Solution Private Limited द्वारा विकसित किया गया है, जिसमे हमें QR Code, E-invoice, E-Way Bill, Multi Printing, Bank Cancellation update, Oman VAT, e-payment के साथ ही साथ यूजर फ्रेंडली interface तैयार किया गया है.
जिसमे हमें QR Code, E-invoice, E-Way Bill, Multi Printing, Bank Cancellation update, Oman VAT, e-payment के साथ ही साथ यूजर फ्रेंडली interface तैयार किया गया है.Tally Prime Launch Date – Tally Prime को 9 नवंबर 2020 को टैली प्राइवेट सलूशन लिमिटेड द्वारा लॉन्च किया गया है.
Tally Prime Download 32 bit– Tally Prime 32 bit version में उपलब्ध नही है, केवल 64 bit में टैली प्राइम को install किया जा सकता है.
Tally Prime Price –
विवरण | आवश्यक कॉन्फ़िगरेशन |
प्रोसेसर (Processor) | 1.8 GHz 64-bit (x64) architecture processor; Core2 Duo, Dual Core, Core i3, Core i5, Core i7 और इससे अधिक |
रैम (RAM) | 4 GB और इससे अधिक |
हार्ड डिस्क (Hard Disk) | 150 MB free space सॉफ्टवेर को इनस्टॉल करने के लिए |
Monitor Resolution | 1366 × 768 |
Operating System | 64-bit editions of Microsoft Windows 7, Windows Server 2008 R2 और इससे अधिक |
Other MS Office software | 64-bit editions of MS Office software such as Excel, Word, और इससे अधिक |
Tally Prime Software को डाउनलोड करने के लिए हमें निमंलिखित प्रक्रिया का पालन करे –
1. Tally 3.0 (1990) – टैली 3.0 टैली का पहला संस्करण है जिसका उपयोग छोटे व्यवसायों की बुनियादी लेखांकन आवश्यकताओं के लिए किया गया है। लेकिन, सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए बाहरी और विशेष कमांड की आवश्यकता होती है। और, यह केवल Microsoft DOS को सपोर्ट करता है।
2. Tally 3.12 (1991)
11. Tally Prime (2020)
यह टैली का नवीनतम version जिसमे tally erp 9 से advance बनाया गया है जिसमे हमें QR Code, E-invoice, E-Way Bill, Multi Printing, Bank Cancellation update, Oman VAT, e-payment के साथ ही साथ यूजर फ्रेंडली interface तैयार किया गया है
अब हम (Tally Prime Kya hai) Tally Prime in Hindi में टैली प्राइम के Features के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे –
जैसे हम टैली प्राइम को ओपन करेंगे तो सबसे पहले हमें Home Screen दिखाई देगा जिसमे Top Menu में GoTo बटन दिखाई देगा जिसका shortkey alt + g है, जिसके माध्यम से हम Gateway of Tally में रहकर इस विकल्प के माध्यम से विभिन्न Ledgers, Vouchers और Report को Find और Open करने में सहायता करते हैं, यह विकल्प टैली को और easy बनाता है.
टैली प्राइम को Tally ERP से आसान बनाने के लिए टैली में create किये जाने वाले ledger, voucher, Stock Item, Groups, Price Level, Godown इत्यादि आप्शन को create आप्शन में सम्मिलित कर दिया गया है.
3. Reports – रिपोर्ट को easy way में विशलेषण करने के लिए एक श्रेणीबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जबकि टैलीप्राइम बड़ी संख्या में रिपोर्ट प्रदान करता है, रिपोर्ट को पढ़ना और समझना समान इंटरैक्शन के साथ सरल होता है।
टैली प्राइम का उपयोग करके Professional GST Invoice बनाया जा सकता है, यह पुरे तरह easy और user friendly है जिससे GST Invoice create किया जाता सकता है.
Tally Prime में अब Purchase & Sales Management कार्य अब आसानी से किया जा सकता है.
टैली प्राइम में अब हम Multiple Billing Format में बिल तैयार कर सकते है.
Tally ERP 9 में पहले हमें E-Way Bill बनाने का विकल्प नही मिलता था लेकिन अब हमें Tally Prime में E-Way Bill Generate करने का विकल्प प्राप्त होता है.
Tally Prime Oman VAT को from 16-April-2021 से सभी प्रकार के लेनदेनो में support करेगा Tally प्राइम में इसे एनबले करने के लिए इस स्टेप्स को फॉलो करे –
इस नए version में सिंपल invoice में भी लोगो प्रिंट कर सकते है निचे दिए गए स्टेप्स के साथ आप logo set कर सकते है पहले के version में logo प्रिंट में करने समस्या होता था उसे दूर किया गया है
Tally Prime में दो प्रकार के Display Modes दिया गया है Bright और Soft.
While
Bright display mode पहले से रहेगा, हम अपने अनुसार डिस्प्ले मोड को
change कर सकते है इसके लिए हमें in स्टेप्स को follow करना होगा –
> F1 (Help)
> Settings
> Display
> Color & Sound
> Display Mode.
Tally प्राइम e-Invoicing features को जोड़ा गया है जिसके माध्यम से हम अब e-invoice तैयार कर सकते है.
जब हम condensed format में वाउचर report प्रिंट करते थे तो , bill-wise details नही दिखाई देता था उसे इस version में सुधार किया गया है.
टैली प्राइम का उपयोग करके अब E-Payment किया जा सकता है, E-Payment के माध्यम से RTGS, NEFT और other Bank Transfer हेतु से सीधे Bank को instruction दिया जा सकता है.
Tally Solution Pvt. Ltd द्वारा जब Tally का निर्माण किया गया था तब से लगभग Color एवं Design लगभग same आ रहा था समय के साथ साथ उनके Features और Tools में Update किया जाता रहा लेकिन इस बार Tally Prime में Gateway of Tally, Main Screen से लेकर Voucher Entry सभी का Interface चेंज किया गया है.
Tally Prime in Hindi का Interface बहुत ही user friendly है, जिसमे user आसानी से एकाउंटिंग कार्य कर सकता है, निम्नलिखित सीमेंट में टैली प्राइम द्वारा उनके डिजाइन ऑल फीचर्स में अवश्य बदलाव किए गए हैं जिससे टैली प्राइम को उपयोग करना बहुत आसान हो गया है. अब हम Tally Prime in Hindi में टैली प्राइम के Interface के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे –
अब हम Tally Prime in Hindi में टैली प्राइम के फायदे के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे –
Features in Tally | Tally ERP 9 | Tally Prime |
---|---|---|
Lunch Year | 2009 | 2020 |
Goto Option | No | Yes |
Multi tasking | No | Yes |
Shortcut Keys | Copy – Ctrl+Alt+C Paste – Ctrl+Alt+V | Copy – Ctrl+C Paste – Ctrl+V |
Features | Normal | Advance |
Speed | Medium | High Speed |
Select Company | F1 key | F3 Key |
Flexiable | No | Yes |
Print Optimization | No | Yes |
Data Access | Difficult | Easy |
Introduction of Accounting वर्तमान में व्यवसाय का क्षेत्र काफी विस्तृत हो चुका है। वैश्विक (Global) अर्थव्यवस्था एवं व्यवसाय के बदलते परिवेश में वित्तीय लेन-देनों की जटिलताओं में भी वृद्धि हुई है, फलस्वरूप वित्तीय व्यवहारों के नियमन के लिये लेखा – जोखा रखना एक व्यावसायिक संगठन के लिये आवश्यक हो गया हैं।
प्रत्येक लेन-देनों को याद रखना बड़ा मुश्किल एवं असम्भव है, इसी कारण बहीखाता का प्रादुर्भाव हुआ है, लूकास पेसियोली को पुस्तपालन (Bookkeeping) का जन्मदाता कहा जाता हैं.
भारत में लेखाकंन प्रमापों के निर्धारण तथा लेखाकारों के प्रशिक्षण का कार्य Institute of Chartered Accountants of India and Institute of Costs and Works Accountants of India द्वारा किया जाने लगा है।
Tally Prime Notes in Hindi : बहीखाता का अर्थ एवं परिभाषा
बहीखाता को पुस्तपालन भी कहते है, इसका आशय है लेन-देनों को पुस्तकों में लिखना। व्यवसाय में कई प्रकार के मौद्रिक लेन-देन होते हैं जिनका व्यवस्थित रूप से पुस्तकों में लेखा करना आवश्यक होता है।
व्यवसाय के समस्त वित्तीय लेन-देनों का नियमित, विधिवत, शुद्ध एवं स्पष्ट रूप से लेखा करने की कला को ही बहीखाता अथवा पुस्तपालन कहते है। जिस दिन लेन-देन होता है उसी दिन बहीखाता का कार्य किया जाता है। परिभाषयें:- कार्टर के अनुसार – ’’बहीखाता उन समस्त व्यापारिक लेन-देनों का उचित ढंग से लेखा करने की कला है एवं विज्ञान है, जिसके फलस्वरूप मुद्रा के मूल्य का हस्तांतरण होता है। जेे. आर. बाटलीबाॅय के अनुसार – ’’बहीखाता व्यापारिक व्यवहारों को उचित शीर्षकों के अतंर्गत लेखा करने की कला हैं।
बहीखाता का कार्य केवल वित्तीय सौदों को हिसाब की पुस्तकों में नियमानुसार लिखना हैं, जबकि लेखांकन उनका वर्गीकरण व सारांशीकरण कर वित्तीय परिणाम को प्रस्तुत करता है। व्ययसाय को आर्थिक परिणाम जानने के लिये बहीखाता में लिखे गये लेन-देनों का संग्रह, वर्गीकरण, सारांशीकारण कर उनका विश्लेषण करना आवश्यक है, तभी कोई व्ययसायी अपने व्यवसाय के परिणाम का निष्कर्ष निकाल सकता है। इस कार्य को लेखाकंन के द्धारा पूर्ण किया जाता है.
लेखांकन, जैसा कि हम जानते है कि समस्त व्यावसायिक व्यवहारों का पुस्तकों में विधिवत लेखा है। व्यवसाय एवं उपक्रम से संबंधित समस्त वित्तीय व्यवहारों की जानकारी लेखांकन के माध्यम से प्राप्त हो जाती है। इसके प्रमुख उदद्ेश्य निम्नलिखित है –
2. क्रय – विक्रय का ज्ञान:-
3. देनदारों एवं लेनदारों का ज्ञान:-
4. व्ययसाय की वित्तीय स्थिति की जानकारी
5. लाभ – हानि का ज्ञान
Accounting : – वह प्रोसेस है जिसके द्वारा वित्तीय लेनदेन का पहचान कर (Identification) एंट्री करना, सरांशीकरण कर रिपोर्ट तैयार करना होता है जिसके द्वारा व्यापार के वित्तीय स्थिती को जाना जा सकता हैं, लेखाकंन कहलाता हैं।
लाभ कमाने के उदेश्य से किया गया वैधानिक कार्य व्यवसाय कहलाता हैं व्यवसाय एक व्यापक शब्द है जिसकें अंर्तगत व्यापार, उत्पादन कार्य, वस्तुओं या सेवाओं का क्रय – विक्रय, बैंक, बीमा, परिवहन कम्पनियाॅ इसके अंर्तगत आते हैं।
लाभ कमाने के उदेश्य से किया गया वस्तुओं का क्रय – विक्रय व्यापार कहलाता हैं।
आय अर्जित करने के लिए किया गया कोई कार्य या साधन जिसके लिए पूर्व प्रशिक्षण आवश्यकता होती है, पेशा कहलाता हैं जैसे – डाॅक्टर, शिक्षक, वकील इत्यादि के कार्य पेशा के अंतर्गत आते हैं।
व्यवसाय को प्रारम्भ करने वाला व्यक्ति जो आवश्यक पूॅजी की व्यवस्था करता है तथा लाभ प्राप्त करने के अधिकारी व हानि का जोखिम वहन करता हैं, व्यवसाय का स्वामी कहलाता हैं।
व्यवसाय के स्वामी द्धारा व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिये धन, रोकड़ या अन्य सम्पत्ति के रूप में लगाया जाता हैं उसे पूॅजी कहते हैं। व्यवसाय में पॅूजी लाभार्जन के उद्देश्य से लगाई जाती हैं लाभ का वह भाग जो व्यवसाय से निकाला नही गया हैं,
पूॅजी:- सम्पत्तियां – दायित्व.
व्यवसाय के स्वामी द्धारा व्यवसाय के निजी उपयोग के लिये जो माल या रोकड़ निकाल लिये जाते हैं, उसे आहरण या निजी व्यय कहते है। आहरण से पॅूजी की मात्रा कम हो जाती हैं।
दो पक्षो के मध्य होने वाले मुद्रा, माल या सेवा के पारस्परिक विनिमय ;म्गबींदहमद्ध को सौंदे लेन – देन कहते हैं। माल का क्रय – विक्रय, भुगतान का का लेना – देना आदि आर्थिक क्रियाएॅ व्यावसायिक सोैेदे या लेन – देन कहते हैं।
माल उस वस्तु को कहते हैं, जिसका क्रय – विक्रय या व्यापार किया जाता है। माल के अंतर्गत वस्तुओं के निर्माण हेतू प्राप्त कच्ची सामग्री, अर्द्धनिर्मित सामग्री या तैयार वस्तुएं हो सकती हैं.
जब व्यापारी द्धारा विक्रय हेतू माल की खरीदी की जाती है, उसे क्रय कहा जाता है।। यह खरीदी कच्ची सामग्री या तैयार माल के रूप् में हो सकती हैं। सम्पत्तियों का क्रय, क्रय में शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये पुनः विक्रय के लिये नही होती हैं।
क्रय किये गये माल में से किसी कारणवश जो माल वापस कर दिया जाता हैं, उसे क्रय वापसी अथवा बाह्य वापसी (Return Outward) कहते है।
लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से जब क्रय किया हुआ माल बेजा जाता हैं उसे विक्रय कहते हैं। नगद माल बेचने को नगद विक्रय (Cash Sales) तथा उधार माल बेचने को उधार विक्रय (Credit Sales) कहते हैं।
विक्रय किये गये माल में से किसी कारणवश ग्राहक द्धारा वापस कर दिया जाता हैं, उसे विक्रय वापसी अथवा आन्तरिक वापसी कहते है। टेैली में Sales Return होने पर उसे जर्नल वाउचर या डेबिट नोट में एंट्री किया जाता है।
एक निश्चित समयावधि के उपरान्त जो माल बिकने से रह जाता हैं, उसे स्टाॅक कहते है किसी व्यापारिक वर्ष के अंतिम दिन जो बिना बिका माल रह जाता है उसे अंतिम स्टाॅक (Closing Stock) कहते है। नवीन व्यापारिक वर्ष के प्रारंभ में यही स्टाॅक, प्रारंभिक स्टाॅक (Opening Stock) कहलाता है।
व्यवसाय की ऐसी सभी स्थायी उवं अस्थायी वस्तुएं जो व्यवसाय को चलाने के लिये आवश्यक होती हैं तथा का जिन पर व्यवसायी स्वामीत्व होता हैं, सम्पत्तियां कहलाली हैं। जैसे – यंत्र, भूमि वभन तथा व्यवसाय की निजी उपयोग मे होने वाले सभी यंत्र, फर्नीचर, प्रिंटर, कप्म्यूटर इत्यादि।
यंत्र, भूमि वभन तथा व्यवसाय की निजी उपयोग मे होने वाले सभी यंत्र, फर्नीचर, प्रिंटर, कप्म्यूटर इत्यादि
नगद रोकड. बैंक नगद इत्यादि
व्यवसाय के देयधन को दायित्व कहते हैं व्यवसाय में कुछ आवश्यक राशियाॅ ऐसी होती हैं, जिनको चुकाने का दायित्व व्यवसाय पर होता है जैसे – पूॅजी, देयविपत्र, लेनदार, बैंक अधिविकर्ष आदि।
राजस्व से आशय ऐसी राशि से है जो माल अथवा सेवाओं के विक्रय से नियमित रूप से प्राप्त होती है। व्यवसाय के दिन – प्रतिदिन के क्रिया-कलापों से प्राप्त होने वाली राशियाॅ जैसे – किराया, व्याज, कमीशन, बट्टा, लाभांश आदि भी राजस्व कहलाते है।
व्यवसाय में माल, वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन या प्राप्ति करने के लिये जो लागत आती है। व्यय कहते हैं। माल तथा सेवाओं की प्राप्ति के लिये भुगतान व्यय के अंतर्गत आते हैं। मजदूरी, भाड़ा, रेल गाड़ी तथा माल के वितरण एवं विक्रय पर भुगतान गया वेतन, किराया, विज्ञापन, व्यय, बीमा आदि भी में व्यय में शामिल हैं।संक्ष्पित में राजस्व में वृद्धि करने की लागत को व्यय कहते हैं।
माल तथा सेवाओं की प्राप्ति के लिये भुगतान – मजदूरी, भाड़ा, रेल गाड़ी तथा माल के वितरण एवं विक्रय पर भुगतान
राजस्व में वृद्धि, वेतन, किराया, विज्ञापन, व्यय, बीमा आदि Expenditure (खर्च):- खर्च वह राशि होती है जो व्ययसाय की लाभ-अर्जन क्षमता की वृद्धि हेतू भुगतान की जाती है। व्यवसाय में सम्पत्तियों के अधिग्रहण या प्राप्ति हेतू जो भुगतान किया जाता है वह खर्च कहलाता हैं।
यह एक प्रकार की मौद्रिक प्राप्ति है, जो व्यवसाय के फलस्वरूप् प्राप्त होती है जैसे यदि 1,00,000 रूपये मूल्य की माल को 1,50,000 रूपये में बेचा जाएगा तो 50,000 रूपये की प्राप्ति लाभ कहलेगा।Basic Accounting Terms
व्यवसाय एवं उसके कार्यो में प्रयोग होने वाले कच्चे माल, सेवा व ऋण, उत्पादन या उसे उपयोगी बनाने हेतू किये जाने वाले समस्त प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्ययों के योग को ही वस्तु की लागत कहते है। वस्तु के अंतर्गत कच्चा माल या सम्पत्तिया शामिल रहती है।
व्यापारी द्धारा अपने ग्राहकों को दी जाने वाली रियायत को कटोैती, छूट या बट्टा कहते है। इसे उपहार भी कहा जाता है। बट्टा दो प्रकार के होते हैं –
विक्रेता अपने ग्राहकों को माल खरीदते समय उसके अंकित मूल्य अर्थात् सूची मूल्य में जो रियायत (छूट देता है) करता है, उसे व्यापारिक बट्टा कहते है यह माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से दिया जाता हैं। इसका लेखा पुस्तको में नही किया जाता है
निश्चित अथवा निर्धारित अवधि में नगद राशि या चैक द्धारा मूल्य का भुगतान करने पर जो छूट दी जाती है, उसे नगद बट्टा कहते है इसका लेखा पुस्तको में किया जाता है
जो व्यक्ति, फर्म या संस्था से माल अथवा सेवाएं उधार लेते है, उसे व्यापार का ऋणी या देनदार कहते है। देनदारो को ‘विविध देनदार’ या Sundry Debtor कहते है।
जिस व्यक्ति, फर्म या संस्था से माल अथवा सेवाएं उधार ली जाती है उसे त्रणदाता या लेनदार कहते है माल उधार खरीदने पर ही लेदनदारों का उदय होता है लेनदारो को ‘विविध लेनदार’ (Sundry Creditors) कहते है। जैसे – लखन ष्याम से 2 प्रिंटर 20000 रूपये मे खरीदा ।
व्यवसाय से सम्बधित ऐसी राषि जिसको प्राप्त किया जाना है उसे प्राप्य कहते है। व्यापार में माल की उधार बिक्री होने पर क्रेता को देनदार कहा जाता है, जिनसे राषि प्राप्त की जाना होती हैं .
व्यवसाय में कुछ ऐसी राषियां होती है जिन्हेेंेेें भविश्य में व्यापारी को चुकाना होता है उन्हे देयताएं (Payable) कहते है। जिनसे व्यापार द्धारा उधार माल क्रय किया जाता है वे व्यापार के लेनदार (Creditors) कहते है।
लेन देन को हिसाब की पुस्तको में लिखना प्रविश्टि कहते है
एक निश्चित में होने वाले नगद तथा उधार विक्रय का योग कुल विक्रय या Turn Over कहते है। विक्रय नगद + विक्रय उधार = Turn Over.
जो व्यक्ति अपना ऋण चुकाने मे असमर्थ हो जाता है उसे दिवालिया कहते है। ऐसे व्यक्ति का दायित्व उसकी सम्पत्ति के मूल्य से अधिक होता है। ऐसी स्थिति में वह अपना ऋण पूरी मात्रा में नही चुका सकता है। आंशिक रूप में ऋण चुकता करने के लिये उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। न्यायालय उसे दिवालिया घोषित कर आंशिक रूप् से ऋण चुकाने की अनुमति दे देता है जिससे वह अपने ऋण से मुक्त हो जात है.
ऋणी की असमर्थता अथवा दिवालिया हो जाने के कारण जो रकम वसूल नहीं हो पाती, लेनदार के लिये डूबत-ऋण या अ्रप्राप्य ऋण कहलाती है।
Tally Prime Notes in Hindi : प्रत्येक खाते के दो पक्ष होते है। बायें पक्ष को नामे क्मइपज या विकलन तथा दाहिने पक्ष को जमा ब्तमकपज या समाकलन कहते है। किसी खाते केे बाएं पक्ष में लेखा करना नामे लेखा कहलाता है है जिसे परम्परागत रूप से संक्षेप में Dr. लिखते है इस प्रकार खाते के दाहिने पक्ष में लेखा करना जमा लेखा कहलाता है जिसे परम्परागत रूप से Cr. लिखते है। यह उल्लेखनीय है कि भारतीय बहीखाता प्रणाली में नामे पक्ष दाहिनी ओर तथा जमा बायीं ओर हेाता है ।
व्यापारिक कार्याे में सहयोग करने अथवा प्रतिनिधित्व करने के प्रतिफल में प्रतिनिधि या अभिकर्ता को जो पारिश्रमिक दिया जाता है उसे कमशीन कहते है .
सामान्य अर्थ में फर्म से आशय उस संस्था से है जो कि साझेदारी स्थापित कर व्यापारिक या व्यावसायिक कार्य करती है, किंतु व्यापक अर्थ में प्रत्येक व्यापारिक इकाई को फर्म के नाम से संबोधित किया जा कसता है ।
लेजर या खाता एक तालिका है जिसमे सोैदा उनके स्वभाव के अनुसार वर्गीकृत करके एक र्शीषक के अंतर्गत एक स्थान पर क्रम से लिखा जाता है, सरल शब्दो में किसी व्यक्ति, सम्पत्ति तथा आय-व्यय आदि से संबधित लेखो को छांटकर जो सूची बनाई जाती है उसे Account / Leger / खाता कहते है।
Account शब्द का अंग्रेजी में संक्षिप्त रूप में A/c होता है। लेखो में प्रायः इस संक्षिप्त रूप का ही प्रयोग होता है और प्रत्येक खाता दो पक्षों में विभाजित रहता है। बाये पक्ष को नामे Debit और दाहिने पक्ष को Credit कहते है
or
Go to Gateway of Tally
> Create
> Group or
Alt+G (Go To)
> Create Master
> Group.
Tally Prime Notes in Hindi : Stock Management किसी
कंपनी की व्यापारिक वस्तुएं, कच्चा माल, तैयार माल और अधूरा माल जो बिका
नही है, को स्टाॅक सूची के रूप में जाना जाता हैै। स्टाॅक सूची वर्तमान
संपत्तियों मे से एक है।
टेली स्टाॅक सूची प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है
स्टाॅक समूह लाक्षणिक आधार पर स्टाॅक मदो या स्टाॅक आइटम का वर्गीकरण करने में सहायक होते है
Go to Gateway of Tally
> Create
> Stock Item
or press Alt+G (Go To)
> Create Master > Stock Item.
यह कंपनी द्धारा निर्मित अथवा व्यापार में क्रय और विक्रय किये गये माल बताता है यह प्राथमिक स्टाॅक सूची की एंट्री है । उपयोगकर्ता को प्रत्येक स्टाॅक सूची के लिये मद बनाना होगा । जिसका हिसाब रखना है
Go to Gateway of Tally
> Create
> Stock Group
or Alt+G (Go To)
> Create Master
> Stock Group anytime
Tally Prime Notes in Hindi : स्टाॅक के उत्तम रखरखाव हेतू टेली में स्टाॅक श्रेणी / Stock Categories बनाए जा सकते है
उदाहरण:-
Go to Gateway of Tally
> Create
> Stock Category
or Alt+G (Go To)
> Create Master
> Stock Category.
स्टाॅक मद एक प्रकार के माप के आधार पर बेचे या खरीदे जाते है। टेली में
स्टाॅक् मद हेतू माप का निर्माण करना आवश्यक है। माप की इकाई संख्या मीटर,
किलोग्राम एवं संख्या या पैकेट हो सकते हैं।
Example – 1. Number – No, Killogram – Kg, Quntity – Qty, Piceces – Pcs
माप की इकाई को डिलिट करने के लिए Alt+D बटन दबाकर इकाई को हटाया जा सकता है
गोदाम वो जगह है जहां स्टाॅक को स्टोर या संग्रह कर रखा जाता हैं। टेली
में उपयोगकर्ता गोदाम का नाम परिभाषित कर सकता है। जैसी – Home Godown और
Office Godwon.
Go to Gateway of Tally
> Create
> Godown
or use Alt+G (Go To)
> Create Master
>Godown.
Golden Rules of Accounting को हिंदी में लेखांकन के सुनहरे नियम कहा जाता है, जिसमें तीन प्रकार के अकाउंट होते हैं जैसे व्यक्तिगत खाता, वास्तविक खाता और आय-व्यय खाता, इन एकाउंट्स में डेबिट और क्रेडिट करने के विशेष नियम होते हैं जिन्हें Golden Rules of Accounting कहते हैं.
Example के लिए व्यक्तिगत खाता में Receiver (पाने वाला) अकाउंट को Debit किया जाता है उसी प्रकार Giver (देने वाला) अकाउंट को Credit किया जाता है.
वास्तविक खाता में What’s Come in (जो आता है ) उस अकाउंट को Debit किया जाता है उसी प्रकार What’s Goes in (जो जाता है ) उस अकाउंट को Credit किया जाता है.
आय-व्यय खाता में All Expenses & Losses (सभी व्यय और हानि) उस अकाउंट को Debit किया जाता है उसी प्रकार All Income & Gains (सभी आय और लाभ) उस अकाउंट को Credit किया जाता है.
Golden Rules | Personal Account | Real Account | Nominal Account |
---|---|---|---|
Debit | Receiver | Whats Come In | All Expenses & Loss |
Credit | Giver | Whats Goes Out | All Income & Gains |
Financial Transaction को रिकॉर्ड करने के लिए Accounting में Account के Nature अनुसार Rules बनाया गया है जिसमे account में होने प्रभाव के अनुसार Debit और Credit करने के नियम है, जिसमे एक साथ दो account पर effect होता है.
जैसे 5000 रूपये Bank of Baroda में जमा किया इसमे दो account बनेगा Cash Account और Bank of Baroda Account, यहाँ पर Bank of Baroda Account Receiver इसलिए Debit होगा और Cash Account Giver है इसलिए Credit होगा.
मुख्य रूप से Accenting में तीन प्रकार के Account या खाते होते है –
Personal Account जिसे हिंदी में व्यक्तिगत खाता के नाम से जाना जाता है, इस प्रकार के account में किसी व्यक्ति से सम्बंधित होता है और इस खाते का एकाधिकार होता है Personal Account कहलाता है, जैसे – Ram A/c, Ramesh A/c, Laxmi A/c.
Types of Account | Golden Rules |
---|---|
Receiver (पाने वाला) | Debit (Dr.) |
Giver (देने वाला) | Credit (Cr.) |
Example – Ramesh ने मोहन को 100 रूपये दिए.
इस example में Ramesh और मोहन के बीच लेनदेन हो रहा है, दोनों व्यक्ति है और खाते का हक़दार वह अकेले है, इस प्रकार यह व्यक्तिगत खाता के वर्ग में आएगा.
उपरोक्त उदाहरण में मोहन पाने वाला है और रमेश देने वाला है, इस प्रकार इसका voucher entry इस प्रकार होगा –
Tally Prime Notes in Hindi : Voucher entry in Tally / journal entry in एकाउंटिंग
Date | Particular | L.F. | Debit Amt. | Credit Amt. |
---|---|---|---|---|
01-02-2023 | Mohan A/c | 100 | ||
To Ramesh A/c | 100 |
Real Account जिसे हिंदी में वास्तविक खाता के नाम से जाना जाता है, यह व्यापार की सम्पत्ति से सम्बंधित होता है, Real Account कहलाता है, जैसे – Purchase A/c, Sales A/c, Fixed Assets A/c इत्यादि.
Tangible खाता जिसे हिंदी में हम मूर्त खाता के नाम से जानते है, ये खाते व्यापार के सम्पति से जिसे छु या देख सकते है मूर्त खाता के नाम से जाना जाता है. for example – Building A/c, Cash A/c, Goods A/c इत्यादि.
Tangible Account जिसे हिंदी में हम अमूर्त खाता के नाम से जानते है, ये खाते व्यापार के सम्पति से जिसे छु या देख नही सकते है अमूर्त खाता के नाम से जाना जाता है. for example – Goodwill, Patent, Copyright, Trademark इत्यादि.
Types of Account | Golden Rules |
---|---|
What’s Come in (जो आता है ) | Debit (Dr.) |
What’s Goes in (जो जाता है ) | Credit (Cr.) |
Example – श्री तृषा कंप्यूटर से लखन ट्रेडर्स 15000 रूपये का computer system ख़रीदा.
लखन ट्रेडर्स इस example में श्री तृषा कंप्यूटर से computer system ख़रीदा जा रहा है, उपरोक्त उदाहरण में computer system हमें प्राप्त हो रहा है जो की मूर्त सम्पत्ति है और नगद रूपये जा रहा है या भी मूर्त सम्पत्ति, इसलिए इसका voucher entry इस प्रकार होगा –
Voucher entry in Tally / journal entry in एकाउंटिंग
Date | Particular | Debit Amount | Credit Amount |
---|---|---|---|
01-04-2023 | Computer System A/c | 1500 | |
To Cash A/c | 1500 |
Nominal Account जिसे हिंदी में आय-व्यय खाता के नाम से जाना जाता है, इस प्रकार के account में किसी Income – Expenses Account से सम्बंधित होता है, Nominal Account कहलाता है, जैसे Rent A/c, commission received A/c, salary A/c, wages A/c, conveyance A/c, इत्यादि.
Nominal account (आय-व्यय खाता) के Golden Rules of Accounting in Hindi
Types of Account | Golden Rules |
---|---|
All Expenses & Losses (सभी व्यय और हानि) | Debit (Dr.) |
All Income & Gains (सभी आय और लाभ) | Credit (Cr.) |
Example – बिजली बिल के 1000 रूपये दिए.
इस example में बिजली बिल भुगतान लेनदेन हो रहा है और एक Electricity Bill account जो की Expenses जो Nominal account है इसी प्रकार cash account Real account है. इस प्रकार इसका voucher entry इस प्रकार होगा –
Voucher entry in Tally | Jouranl Entry in Accounting
Date | Particular | L.F. | Debit | Credit |
---|---|---|---|---|
04-04-2023 | Electricity Bill A/c | 1000 | ||
To Cash A/c | 1000 |
निम्नलिखित व्यवहारों को श्री राम कम्पयूटर्स की पुस्तक में नकल प्रविष्टियां (Journal Entry) करिये –
(1) नगद धन 18,000 रू व्यापार प्रारंभ कियां।
(2) Color Printer खरीदा 10 नग, पर नग रेट – 8000 रूपये।
(3) रमेश को एक Color Printer 10000 में बेचा।
(4) एक Color Printer 10000 में बेचा।
(5) रमेश से 10000 रूपये प्राप्त हुआ।
(6) एच पी कम्पनी से ब्लैक एंड व्हाइट 10 प्रिंटर 7500 प्रति नग से खरीदा।
(7) एच पी कम्पनी को Payment किया।
Q. No. | Particulars | L.F. | Debit Amt. | Credit Amt. | Voucher Entry |
---|---|---|---|---|---|
1 | Cash A/c Dr. | 18000 | Receipt Voucher | ||
To. Capital A/c | 1800 | ||||
2 | Purchase Ac Dr. | 80000 | Purchase Voucher | ||
To Cash A/c | 80000 | ||||
3 | Ramesh A/c Dr. | 10000 | Sales Voucher | ||
To Sales A/c | 10000 | ||||
4 | Cash A/c Dr. | 10000 | Sales Voucher | ||
To Sales | 10000 | ||||
5 | Cash A/c Dr. | 10000 | Receipt Voucher | ||
To Ramesh A/c | 10000 | ||||
6 | Purchase A/c Dr. (B/W Printer 10*7500) | 75000 | Purchase Voucher | ||
To Hp Company | 75000 | ||||
7 | HP Company Dr. | 75000 | Payment Voucher | ||
To Cash Ac/c | 75000 |
Inventory Voucher : Voucher क्या है – Voucher एक प्रकार का लिखित विवरण होता है, जिसमे सभी Financial or Non-Financial लेनदेनो का विवरण होता है. voucher व्यवसाय का महतवपूर्ण भाग है, यह सभी प्रकार के व्यवसाय में Voucher का उपयोग होता है. Tally में हम इसी के अनुसार Voucher Entry किया जाता है.
Tally Prime Notes in Hindi : Accounting Vouchers वह वाउचर है जिमसे वितीय लेनदेनो के हिसाब किताब रखा जाता है
Contra Voucher (F4) | Payment Vouchers(F5) | Receipt Voucher (F6) |
Journal Vouchers (F7) | Sales Vouchers (F8) | Credit Note Voucher (Ctrl + F8) |
Purchase Vouchers (F9) | Memo Voucher (Ctrl + F10) | Debit Note Voucher ( Ctrl + F9) |
कोन्ट्रा प्रविष्टि निम्नाकिंत प्रकार के फंड स्ािानांतरण को दर्शाता है।
• Cash A/c To Bank A/c
• Bank A/c To Cash A/c
• Bank A/c to Bank A/c
Contra Voucher का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है
A- Gateway of Tally > Vouchers
B- press F4 Button
इस वाउचर का प्रयोग टेली में भुगतान सम्बधित व्यवहारो के लिए किया जाता है।
Payment Voucher का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है
A- Gateway of Tally > Vouchers
B- F5 Button press
यह एक एकांउटिंग वाउचर है इसका उपयोग डेबिट और क्रेडिट राशि को नगद
अथवा बैंक खातो में शामिल किये बिना समायोजित करने के लिये किया जाता है।
Journal Voucher :- का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है
A- Gateway of Tally > Vouchers
B- F7 Button press
Tally Prime Notes in Hindi : यह एक एकांउटिंग वाउचर
है। इसका उपयेाग किसी पार्टी या दूसरे प्रकार से पेयमेंट या राशि प्राप्त
होने पर इस वाउचर का उपयोग किया जाता है।
Receipt Voucher का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है
A- Gateway of Tally > Vouchers
B- press F6 Button
यह एक एकांउटिंग वाउचर है इसका उपयोग विक्रय संबधी लेने – देन होने पर किया जाता है।
Sales Voucher का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है –
A- Gateway of Tally >Vouchers
B- F8 Button press
यह एक एकांउटिंग वाउचर है इसका उपयोग क्रय संबधी लेने – देन होने पर किया जाता है।
Purchase Voucher का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित स्टेप को पालन करते है
A- Gateway of Tally > Vouchers
B- F9 Button press
key | Voucher | Dr/Cr | Cash Deposit | Dr/cr | Cash Withdraw |
F4 | Contra | Cr | To Cash A/c | Cr | To Bank A/c |
Contra | Dr | Bank A/c | Dr | Cash A/c | |
F5 | PAYMENT | Party Payment | Expences Payment | ||
PAYMENT | Dr | Party Name A/c | Dr | Expences A/c | |
PAYMENT | Cr | Cash / bank A/c | Cr | Cash / bank A/c | |
F7 | JURNEL | Purchase Return | Sales Return | ||
JURNEL | Dr | Party Name A/c | Dr | Sales Return | |
JURNEL | Cr | Purchase Return | Cr | Party Name A/c |
F6 | RECIPT | Party Receipt | Income Receipt | ||
RECIPT | Cr | Party Name A/c | Cr | Income Name A/c | |
RECIPT | Dr | Cash / bank A/c | Dr | Cash / bank A/c | |
F8 | SALES | Cash Sales | Credit Sales | ||
SALES | Dr | Cash / bank A/c | Dr | Party Name A/c | |
SALES | Cr | Sales A/c | Cr | Sales A/c | |
F9 | PURCHASE | Cash Purchase | Credit Purchase | ||
PURCHASE | Cr | Cash / bank A/c | Cr | Party Name A/c | |
PURCHASE | Dr | Purchase A/c | Dr | Purchase A/c |
Tally Prime Notes in Hindi : Journalize the following transactions Tally Prime Notes in Hindi practice book pdf
1. Commenced business with cash Rs.10, 000.
2. Deposit into bank Rs. 15,000
3. Bought office furniture Rs.3,000
4. Soled goods for cash Rs.2,500
5. Purchased goods form Mr X on credit Rs.2,000
6. Soled goods to Mr Y on credit Rs.3,000
7. Received cash form Mr. Y on account Rs.2,000
8. Paid cash to Mr X Rs. 1,000
9. Received commission Rs. 50
10. Received interest on bank deposit Rs. 100
11. Paid into bank Rs. 1,000
12. Paid for advertisement Rs.500
13. Purchased goods for cash Rs. 800
14. Sold goods for cash Rs. 1,500
15. Paid salary Rs. 500
Key | Voucher | Ledger | Group | Type of account | Principles | Amount | |
1 | F6 | Receipt | Cr. Capital | Capital account | Personal | Giver | 10,000 |
Dr. Cash | Cash in hand | Real | Comes in | 10,000 | |||
2 | F4 | Contra | Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 15,000 |
Dr. Bank | Bank account | Real | Comes in | 15,000 | |||
3 | F5 | Payment | Dr. Office furniture | Fixed asset | Real | Comes in | 3,000 |
Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 3,000 | |||
4 | F8 | Sales | Dr. Cash | Cash in hand | Real | Comes in | 2,500 |
Cr. Sales | Sales account | Real | Goes out | 2,500 | |||
5 | F9 | Purchase | Cr. X | Sundry creditor | Personal | Giver | 2,000 |
Dr. purchase | Purchase account | Real | Comes in | 2,000 | |||
6 | F8 | Sales | Dr. Y | Sundry debtors | Personal | Receiver | 3,000 |
Cr. Sales | Sales account | Real | Goes out | 3,000 |
7 | F6 | Receipt | |||||
Dr. cash | Cash in hand | Real | Comes in | 2,000 | |||
8 | F5 | Payment | Dr. X | Receiver | 1,000 | ||
Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 1,000 | |||
9 | F6 | Receipt | Cr. commission | Indirect income | Nominal | Credit all income | 50 |
Dr. cash | Cash in hand | Real | Comes in | 50 | |||
10 | F6 | Receipt | Cr. Interest on bank deposit | Indirect income | Nominal | Credit all income | 100 |
Dr. Bank | Bank account | Real | Comes in | 100 | |||
11 | F4 | Contra | Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 1,000 |
Dr. Bank | Bank account | Real | Comes in | 1,000 | |||
12 | F5 | Payment | Dr. Advertisement | Indirect expenses | Nominal | Debit all expenses | 500 |
Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 500 | |||
13 | F9 | Purchase | Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 800 |
Dr. purchase | Purchase account | Real | Comes in | 800 | |||
Cr cash | |||||||
14 | F8 | Sales | Dr. cash | Cash in hand | Real | Comes in | 1,500 |
Cr. Sales | Sales account | Real | Goes out | 1,500 | |||
15 | F5 | Payment | Dr. salary | Indirect expense | Nominal | Debit all expenses | 500 |
Cr. Cash | Cash in hand | Real | Goes out | 500 |
Inventory Voucher क्या है – जिस तरह Accounting System में Accounting Voucher का काम होता है। उसी तरह इनवेन्टरी वाउचर में होता है, यह प्राप्त अथवा भेजे गए माल/स्टाॅक का Record रखता है.
Tally Prime Notes in Hindi : में विभिन्न के इनवेन्टरी वाउचर उपलब्ध है जिसके माध्यम से हम stock managment या inverntory managment कर सकते है.
Receipt Note Voucher क्या है – यह एक inventory voucher है, जिसके माध्यम से हम purchase के लिए order दिए हुए माल / Goods के प्राप्ति होने पर receipt नोट Entry किया जाता है. Receipt Note में entry करते ह, हमारा stock दिखना प्रारंभ हो जाता है. Receipt Note Voucher का shortcut key Alt + F9 होता है.
Delivery Note Voucher क्या है – यह एक inventory voucher है, जिसके माध्यम से हम Sales के लिए order प्राप्त होने पर माल / Goods को भेजने के बाद Delivery Note Voucher में Entry किया जाता है. Delivery Note Voucher में entry करते ही हमारा stock कम हो जाता है. Delivery Note Voucher का shortcut key Alt + F8 होता है.
Rejection Out Voucher क्या है – यह एक inventory voucher है, जिसके माध्यम से हम purchase के लिए order दिए हुए माल / Goods के प्राप्ति होने पर कुछ item damage या किसी अन्य कारन से जब item को वापस किया जाता है. तब Rejection Out Voucher में entry किया जाता है. Rejection Out Voucher में entry करते ही, हमारा stock में से item घट कर दिखना प्रारंभ हो जाता है. Rejection Out Voucher का shortcut key Ctrl + F5 होता है.
Rejection In Voucher क्या है – यह एक Inventory Voucher है, जिसके माध्यम से हम Sales के लिए order प्राप्त हुए माल / Goods के deliver होने पर कुछ item damage या किसी अन्य कारन से जब item को वापस आता है. तब Rejection In Voucher में entry किया जाता है. Rejection in Voucher में entry करते ही, हमारा stock में से item बढ़ कर दिखना प्रारंभ हो जाता है. Rejection in Voucher का shortcut key ctrl+F6 होता है.
Stock Journal Voucher क्या है – यह एक inventory voucher है, जिसके माध्यम से हम stock को एक godown से दुसरे godown में stock को transfer करते है. shortcut key alt+F7.
जैसे की – हमारे पास गोडाउन है पहला home godown और दूसरा office godown जिसमे हम stock रखते है.
Stock Journal Voucher का उपयोग Manufacturing प्रोसेस के लिए भी किया जाता है, जिसमे Raw Material को Finished Goods में transfer किया जाता है. इसके लिए हमें BoM (Bills of Material) option का उपयोग किया जाता है.
Physical Stock Voucher का उपयोग वास्तविक स्टॉक को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है, जिसे Verify या Count किया जा सकता है। जब हम हमारे पुस्तकों में लिखे गए stock और physcial स्टॉक मैच नहीं होता है, तब हम difference stock entry हम Physical Stock Voucher में करते है. shortcut key Ctrl+F7.
Sales Order Voucher क्या है – यह एक inverntory voucher है, जिसके माध्यम से हम Sales के लिए माल / Goods के order प्राप्त होते है, जिसका हम Sales Order Voucher में Entry किया जाता है. Sales Order Voucher में entry करने से stock में कोई अंतर नही दिखता है. Sales Order का Delivery Note Voucher में entry करने पर ही stock कम होता है. Sales Order Voucher का shortcut key Ctrl + F8 होता है
Purchase Order Voucher क्या है – यह एक inverntory voucher है, जिसके माध्यम से हम purchase के लिए माल / Goods के order देते है, जिसका हम Purchase Order Voucher में Entry किया जाता है. Purchase Order Voucher में entry करने से stock में नही दिखता है. Purchase Order का Receipt Note Voucher में entry करने पर ही stock add होता है.Purchase Order Voucher का shortcut key Ctrl + F9 होता है.
GST क्या है? – GST को हिंदी में वस्तु एवं सेवा कर के नाम से जाना जाता है, GST का fullform Goods and Service Tax है, यह indirect Tax है. जो भारत सरकार द्वारा लिया जाता है, यह भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 में लागू किया गया है . यह अन्य टैक्स जैसे उत्पाद कर, विक्रय कर, वैट एवं अन्य लगभग 50 से अधिक करो को मिलाकर जीएसटी का निर्माण किया गया है जिससे की टैक्स को सरल किया जा सके. इस GST काउंसिल द्वारा मैनेज किया जाता है जिसमे वित्त मंत्री की अगुवाई में पुरे काउंसिल कार्य करता है.
GST को एक राष्ट्र एक कर भी कहा जाता है.
GST – One Tax One Nation
Tally Prime Notes in Hindi : जीएसटी को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है
SGST – State Goods and Service Tax
CGST – Central Goods and Service Tax
IGST – Integrated Goods and Service Tax
SGST क्या है? – SGST को हिंदी में राज्य वस्तु एवं सेवा कर और SGST को English में State Goods and Service Tax के नाम से जाना जाता है, यह GST टैक्स स्टेट गवर्नमेंट को जाता है. जैसे यदि कंप्यूटर खरीदें उसमें 18% जीएसटी लगाया जा रहा है तो उसमें 9 परसेंट SGST के रूप में लगाया जाता है, SGST केवल स्टेट के अंदर ही खरीदी और बिक्री करने के लिए लगाया जाता है अर्थात स्टेट के अंदर कोई व्यक्ति माल खरीदना है और माल बेचता है तो उसे SGST देना पड़ता है.
CGST क्या है? – CGST को हिंदी में केन्द्र वस्तु एवं सेवा कर और CGST को English में Central Goods and Service Tax के नाम से जाना जाता है, यह GST टैक्स Central Goverment को जाता है. जैसे यदि कंप्यूटर खरीदें उसमें 18% जीएसटी लगाया जा रहा है तो उसमें 9 परसेंट CGST के रूप में लगाया जाता है, CGST केवल स्टेट के अंदर ही खरीदी और बिक्री करने के लिए लगाया जाता है अर्थात स्टेट के अंदर कोई व्यक्ति माल खरीदना है और माल बेचता है तो उसे CGST देना पड़ता है.
CGST 1 स्टेट के अंदर खरीदी और बिक्री करने पर लगाया जाता है जैसे मैं टीवी करता हूं उसके ऊपर 18 पर्सेंट जीएसटी दिया तो बिल में 9 परसेंट एसजीएसटी और 9 परसेंट सीजीएसटी के नाम से एंट्री के जाता है इस प्रकार कुल 18% जीएसटी लगाया गया
IGST क्या है? – IGST को हिंदी में एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर और IGST को English में Integrated Goods and Service Tax के नाम से जाना जाता है. IGST इंटीग्रेटेड जीएसटी को जब हम एक स्टेट से दूसरे स्टेट में लेनदेन करते हैं, तब IGST लगाया जाता है. जैसे मैं माल को मुंबई से लेकर आया और उसे छत्तीसगढ़ में बेचा तो इस प्रकार दो राज्यों के बीच में लेन-देन हो रहा है, तो इस प्रकार के लेन दिनों में IGST लगाया जाता है जैसे कि कोई मैं वाशिंग मशीन खरीद रहा हूं तो इसके ऊपर IGST 18 परसेंट लगाया जाएगा.
GSTIN क्या है? GSTIN को हिंदी में वस्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या कहा जाता है और GSTIN को Englsih में Goods and Service Tax Identification Number अंको का होता है, GSTIN का fullform पूरा नाम – Goods and Service Tax Identification Number होता है जिसे हम 5 भागों में बाट सकते है .
Tally Prime Notes in Hindi : GSTIN प्रत्येक राज्य के लिए unique number निर्धारित किया गया है जो की इस प्रकार है –
GSTIN State Code | Name of State |
---|---|
01 | जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) |
02 | हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh) |
03 | पंजाब ( Punjab) |
04 | चंडीगढ़ ( Chandigarh) |
05 | उत्तराखण्ड (Uttarakhand) |
06 | हरियाणा (Haryana) |
07 | दिल्ली (Delhi) |
08 | राजस्थान (Rajasthan) |
09 | उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) |
10 | बिहार (Bihar) |
11 | सिक्किम ( Sikkim) |
12 | अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh) |
13 | नागालैंड (Nagaland) |
14 | मणिपुर (Manipur) |
15 | मिजोरम (Mizoram) |
16 | त्रिपुरा (Tripura) |
17 | मेघालय (Meghalaya) |
18 | असम (Assam) |
19 | पश्चिम बंगाल (West Bengal) |
20 | झारखण्ड (Jharkhand) |
21 | उडीसा (Orissa) |
22 | छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) |
23 | मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) |
24 | गुजरात (Gujarat) |
25 | दमण एवं दीव (Daman and Diu) |
26 | दादर एवं नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli) |
27 | महाराष्ट्र (Maharashtra) |
28 | आंध्रप्रदेश(Andhra Pradesh) |
29 | कर्नाटक (Karnataka) |
30 | गोवा (Goa) |
31 | लक्षद्वीप (Lakshdweep) |
32 | केरल (Kerala) |
33 | तमिलनाडु (Tamil Nadu) |
34 | पांडिचेरी (Pondicherry) |
35 | अंडमान- निकोबार (Andaman and Nicobar) |
GSTIN Code State
PAN का fullform Permanent Account Number होता है, GSTIN में व्यापार-व्यवसाय के स्वामी का पैन कार्ड की संख्या सम्मिलित होता है जो कि 10 अंकों का होता है इसलिए जीएसटी पंजीयन के समय पैन कार्ड अनिवार्य होता है।
अगर हम टैली के जानकर है और टैली में कार्य करना चाहते है तो हमें टैली में gst का ज्ञान होना अति अवश्यक है तो अब हम टैली में Tally Prme GST Entry के बारे मे जानते है, टैली में GST यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स जुलाई 2019 के बाद से जोड़ा गया है gst आपको टैली लेटेस्ट वर्शन tally prime में देखने को मिल जायेगा.
GST Activation – सबसे पहले हमें GST को activate करना है, Tally के Latest Version Tally Prime में कंपनी Create ही हमें हमारे GST Details की जानकारी भरना होता है, इस लिए बाद में और GST को Activate करने Require नही है. फिर जाहे तो Tally Prime में GST activate करने के लिए F11 Press करें.
Tally Prime Notes in Hindi GST Entry – tally में gst की entry करने लिए हमें इन चरणों का पालन करना होगा –
इन सभी जानकारियों को भरकर सेव करें और इस प्रकार हमारा gst टैली में activate हो जायेगा.
अब आपको तीन प्रकार के GST Ledger क्रिएट करने होंगे
Tally Prime Notes in Hindi : SGST (state goods and service tax) जैसे कि आपको पहले से पता है की यह टेक्स स्टेट गवर्नमेंट को जाता है है और इससे हम टैली में sgst के नाम से लेजर बनाएंगे जिसमें हम sgst@9%, sgst@6%, sgst@14% के नाम से बना सकते है
इस लेजर को बनाते समय ध्यान में रखें की टाइप ऑफ टैक्स जीएसटी सेलेक्ट करें और उन्हें परसेंटेज देना ना भूलें इस प्रकार से भी जानकारी भरकर सुरक्षित करें.
Tally Prime Notes in Hindi : CGST (Central goods and service tax) जैसे कि आपको पहले से पता है की यह टेक्स सेे Central Government को जाता है है और इससे हम टैली में cgst के नाम से लेजर बनाएंगे जिसमें हम cgst@9%, cgst@6%, cgst@14% के नाम से बना सकते है.
चलिए अब तीनो लेजर बनकर तैयार है.
अब हम स्टॉक आइटम बना लेंगे stock item बनाते समय इन बातो का ध्यान रखे –
> Set / Alter GST details को yes करे.
> Yes करते ही आपको GST Details for Stock Item में Calculation type : On Value करें और Taxability को Taxable करे.
> Integrated Tax Rate डाले जैसे 18, 28, 12 or 5 अपने स्टॉक आइटम के GST दर अनुसार निर्धारित करे.
Stock Item बनते ही हम Voucher में जाकर Entry करते हैं, जैसे कि आप नीचे देख पा रहे हैं हमने स्टॉक आइटम Keyobard, Printer बनाया हुआ है जो कि एक Electronic Item है. जिसमें GST 18 परसेंट दिया जाना है. यह लेनदेन 1 स्टेट के अंदर हो रहा है इसीलिए यहां पर CGST 9 परसेंट or SGST 9% लगाया जा रहा है.
जैसे ही आप voucher entry एंट्री करेंगे अब आइटम एंट्री करने के बाद एक इंटर नीचे आ जाएंगे नीचे आते हैं, CGST और SGST के लेजर को सेलेक्ट करते हैं ऑटोमेटिक आपका जीएसटी gst amount वाउचर में आने लगेगा.
Company 1 – shri Kushal क्लॉथ स्टोर की accouting book में निम्नलिखित लेनदेनो को journal / voucher entry करें.
Fy – 2021 – 2022
Books Begining from – 2021
Address – Ghadi Chowk Dhamtari Chhattisgarh Pin – 493773
Solution –
Tally में Voucher Entry करने से पहले हमें सभी लेनदेनो के ledger create करने होंगे तो चलिये हम सबसे पहले ledger create करते है –
1- gateway of tally में जायें
2- Create
3- Ledger को सेलेक्ट करें
4- Create
अब आपके सामने ledger creation का स्क्रीन display हो रहा होगा जिसमे एक करके सभी ledger को बनाये और GST Ledger बनाते GST को yes करें और सबंधित जानकारी भरे.
अब हमें important कार्य करना है जिसमे हम GST Entry के लिए Stock Item create करेंगे जिसमे हमें carefully GST Rate को input करेंगे. अगर
Ledger | Ledger Under Group |
---|---|
Capital A/c | Capital Account |
SBI Bank Dhamtari | Bank Account |
Furniture A/C | Fixed Account |
Purchase A/c | Purchase Account |
SGST | Duties & Taxes |
CGST | Duties & Taxes |
IGST | Duties & Taxes |
Shri Cloth Store Raipur | Sundry Creditor |
Electricity Bill A/c | Indirect Expenses |
Food & Snacks | Indirect Expenses |
Telephone Bill A/c | Indirect Expenses |
Bank Interest Received A/c | Indirect Income |
Rent | Indirect Expenses |
Trisha Cloth Cneter | Sundry Debitor |
Sales | Sales |
Wages A/c | Direct Expenses |
Purchase Return A/c | Purchase Account |
Petty Cash A/c | Cash Account |
Sales Return | Sales |
Cash Discount Received A/c | Indirect Income |
Cloth Damage | Indirect Expenses |
Computer System A/C | Fixed Assets |
Transaction 1- 5 lakh रूपये से shri kushal cloth store start हुआ.
Voucher entry in Receipt Voucher F6
Capital A/c Dr. 500000
to Cash Cr. 50000
(5 lakh रूपये से shri kushal cloth store start हुआ.)
Transaction 2. 3 लाख रूपये से SBI बैंक धमतरी में खाता खोला.
Voucher entry in Contra Voucher F4
SBI Bank Dhamtari A/c Dr. 300000
to Cash A/c Cr. 300000
(3 लाख रूपये से SBI बैंक धमतरी में खाता खोला)
Transaction 3. दुकान के लिए 10000 रूपये का फर्नीचर ख़रीदा.
Voucher entry in Payment Voucher
Furniture A/c Dr. 10000
to Cash A/c cr. 10000
दुकान के लिए 10000 रूपये का फर्नीचर ख़रीदा.
Transaction 4. श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर से 2 लाख रूपये का कपडे ख़रीदे और 12 % GST दिया.
Voucher entry in Purchase Voucher
Purchase A/c Dr. 200000
CGST A/c Dr. 12000
SGST A/c Dr. 12000
to shri cloth store raipur ac 224000
(श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर से 2 लाख रूपये का कपडे ख़रीदे और 12 % GST दिया)
Transaction 5. बिजली बिल के 2000 रूपये.
Voucher entry in Payment Voucher
electricity Bill A/c Dr. 2000
to cash ac/c cr. 2000
(बिजली बिल के 2000 रूपये.)
Transaction 6 .चाय नास्ता के 100 रूपये दिए.
Voucher entry in Payment Voucher
Food & Snacks A/c Dr. 100
to Cash A/c Cr. 100
(चाय नास्ता के 100 रूपये दिए)
Transaction 7. टेलीफोन बिल के 1500 रूपये चेक से भुगतान किया.
Voucher entry in Payment Voucher
Telephne Bill Dr. 1500
SBI Bank A/c Cr. 1500
(टेलीफोन बिल के 1500 रूपये चेक से भुगतान किया)
Transaction 8. SBI बैंक से 1500 रूपये ब्याज प्राप्त हुआ.
Voucher entry in Receipt Voucher
SBI Bank A/c Dr. 1500
Bank Interest Received A/c Cr. 1500
(SBI बैंक से 1500 रूपये ब्याज प्राप्त हुआ)
Transaction 9. किराया के 5000 रूपये चेक से भुगतान किया.
Voucher entry in Payment Voucher
Rent A/c Dr. 5000
SBI Bank A/c Cr. 5000
(किराया के 5000 रूपये चेक से भुगतान किया)
Transaction 10. श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी को 1 लाख रूपये का कपड़े 12% GST के साथ बेचा.
Voucher entry in Sales Voucher
Shri Trisha cloth Center Dr. 112000
Sales A/c Cr. 100000
CGST A/c Cr. 6000
SGST A/c Cr. 6000
(श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी को 1 लाख रूपये का कपड़े 12% GST के साथ बेचा)
Transaction 11. गाड़ी भाडा के 2500 रूपये दिए.
Voucher entry in Payment Voucher
Wages A/c Dr. 2500
Cash A/c Cr. 2500
(गाड़ी भाडा के 2500 रूपये दिए)
Transaction 12. श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर 15000 रूपये का कपड़े डैमेज प्राप्त होने पर वापस भेजा.
Voucher entry in Journal Voucher
Shri Cloth Store Raipur Dr. 15000
to Purchae Return A/c Cr. 13800
to CGST A/c Cr. 600
to SGST A/c Cr. 600
(श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर 15000 रूपये का कपड़े डैमेज प्राप्त होने पर वापस भेजा)
Transaction 13. ऑफिस maintenance 2000 रूपये दिया.
Voucher entry in Payment Voucher
Office Maintenance A/c Dr. 2000
Cash A/c Cr. 2000
(ऑफिस maintenance 2000 रूपये दिया)
Transaction 14. 5000 रूपये SBI बैंक से petty cash के लिए निकाले.
Voucher entry in Payment Voucher
Petty Cash A/c Dr. 5000
SBI Bank A/c Cr. 5000
(5000 रूपये SBI बैंक से petty cash के लिए निकाले)
Transaction 15.श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी से 10 हजार रूपये के कपड़े डैमेज होने के कारण वापस आया.
Voucher entry in Journal Voucher
Sales Reutrn A/c Dr. 8800
CGST A/c Dr. 600
SGST A/c Dr. 600
to Tirsha Cloth Center A/c Cr. 10000
(श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी से 10 हजार रूपये के कपड़े डैमेज होने के कारण वापस आया)
Transaction 16. श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी से 90 हजार रूपये Bank ऑफ़ Baroda बैंक का check मिला.
Voucher entry in Receipt Voucher
SBI Bank Dhamtari A/c Dr. 90000
to Trisha Cloth Center Cr. 90000
( Cheque Number 461556, श्री तृषा क्लॉथ सेंटर कोलियरी से 90 हजार रूपये Bank ऑफ़ Baroda बैंक का check मिला.)
Transaction 17. श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर को 50 हजार रूपये का भुगतान किया और 5 प्रतिशत नगद छुट प्राप्त किया.
Voucher entry in Payment Voucher
Shri Cloth Store Raipur Dr. 50000
Cash Discount Received Cr. 5000
Cash A/c Cr. 45000.
(श्री क्लॉथ स्टोर रायपुर को 50 हजार रूपये का भुगतान किया और 5 प्रतिशत नगद छुट प्राप्त किया)
Transaction 18. 2 हजार रूपये के कपड़े ख़राब हो गया.
Voucher entry in Journal Voucher
Cloth Damaged A/c Dr. 2000
to Purchase A/c Cr. 2000
(2 हजार रूपये के कपड़े ख़राब हो गया)
Transaction 19. दुकान के लिए 15000 रूपये का computer सिस्टम ख़रीदा.
Voucher entry in Payment Voucher
Computer System Dr. 15000
to Cash A/c Cr. 15000
(दुकान के लिए 15000 रूपये का computer सिस्टम ख़रीदा)
Transaction 20. 5000 रूपये का दुकान के डेकोरेशन के लिए दिया.
Voucher entry in Payment Voucher
Office Maintenance A/c Dr. 5000
Cash A/c Cr. 5000
(ऑफिस maintenance 5000 रूपये दिया)