Introduction:
Tally ERP 9 Notes Hindi. Tally.ERP 9 दुनिया का सबसे तेज और सबसे शक्तिशाली समवर्ती बहुभाषी बिजनेस
अकाउंटींग और इनवेंट्री मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है। Tally.ERP 9 को छोटे और मध्यम बिजनेस की
जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष्ज्ञ रूप से डिजाइन किया गया है| यह पूर तरह से इंटिग्रेडेट सस्ती
और अत्यंत विश्वसनीय है| Tally.ERP 9 को खरीदना आसान है, फास्ट इन्स्टॉल होता है और सिखने और उपयोग करने के लिए आसान है|
Tally.ERP 9 को आपके व्यापर के सभी बिजनेस
ऑपरेशन जैसे sales, finance, purchasing, inventory और manufacturing को स्वचालित और एकीकृत करने के लिए बनाया गया है| अब Tally.ERP 9 के नए वर्जन में रिमोट एक्सेस से
कही भी काम कर सकते है| यह audit और compliance सर्विस, इंटीग्रेडेट सपोर्ट और सिक्योरिटी
मैनेजमेंट प्रदान करता है| इसके शक्तीशाली फीचर्स और स्पीड
और टैली इआरपी 9 की पावर के साथ बढी हुई MIS,
Multi-lingual, Data Synchronization और Remote की क्षमता आपके
बिजनेस की प्रोसेस को और भी आसान करता है और लागत को प्रभावी ढंग से कम करता है|
Tally ERP 9 टैली इआरपी 9 में नए फीचर्स को शामिल किया गया है –
·
Remote Access:
टैली इआरपी9 कहीं से भी रिमोट के व्दारा डेटा
एक्सेस करने की क्षमता प्रदान करता है| इस फचर से युजर रिमोट युजर आईडी बनाता है, अधिकृत करता है और रिमोट एक्सेस
करने कि अनूमती देता है|
·
NET (to be read as Tally.NET)
Tally.NET डिफ़ॉल्ट रूप से अनुकूल माहौल बनाता
है, जो इंटरनेट पर आधारीत विभिन्न्
सेवाओं की सुविधा के लिए पीछे से काम करता है| हर एक टैली इआपी9 इस .नेट की सर्विस के लिए इनेबल होता है| टैली.नेट निम्नलिखित सेवाओं/क्षमता
को प्रदान करता है – Tally.NET के फीचर्स :
·
रिमोट युजर बनाना और उन्हे मेंटेन रखना
·
रिमोट एक्सेस
·
रिमोट सेंटर
·
सपोर्ट सेंटर
·
(Tally.NET) के माध्यम से डेटा का
सिंक्रोनाइजेशन
·
प्रोडक्ट अपडेट और अपग्रेड
·
Simplified Installation
process
टैली इआरपी9 एक नए सुधारीत इन्स्टॉलर के साथ
आता है, जो युजर को आवश्यकताओं के अनुसार एक
ही स्क्रीन से अलग अलग सेटींग को कॉन्फीगर करने की अनूमती देता है|
·
Control Centre
कंट्रोल सेंटर यह नया फीचर टैली इआरपी9 में शामिल किया गया है| यह युटीलीटी अलग अलग जहग पर इन्स्टॉल
टैली और युजर के बिच इंटरफेस करती है| कंट्रोल सेंटर के मददत से आप –
·
पूर्वनिर्धारित सिक्योरिटी के स्तर के साथ यजर बना सकते है
·
सेंट्रली टॅली इआरपी9 को मॅनेज और कॉन्फीगर
कर सकते है
·
साइट पर सरेंडर, कन्फर्म या रिजेक्ट कर
सकते है
·
अकाउंट से संबंधित जानकारी को बनाए रख सकते है
Enhanced
Look & Feel
Resizing Screens युजर टैली की स्क्रीन या विंडो को
अपने हिसाब से रिसाइज कर सकते है| यह रिसाइज के मापदंट जैसे ऊंचाई और चौड़ाई tally.ini
फाइल में परिभाषित होती है| इस तरह से स्क्रीन का आकार बदलके
युजर विभिन्न् कंपनियों के समान रिपोर्ट की तुलना कर सकता है|
Multiple Selection capabilities युजर एक रिपोर्ट में कई लाइनों को एक साथ सिलेक्ट कर सकता हैं और
रिपोर्ट की आपश्यक्ता के आधार पर इन्हे डिलीट या हाइड कर सकता है|
Information panel इन्फॉर्मेशन पॅनल
टॅली ने निचले भाग में होता है| इसमे पांच ब्लॉक होते हैं Product, Version, Edition,
Configuration और Calculator|
·
Calculator
डाटा सिंग और रिमोट कनेक्टीवीटी के दौरान यह कनेक्श्न स्टेटस
को दर्शाता है| यह कैलक्यूलेटर के रूप में भी काम
करता है|
·
Enhanced Payroll Compliance
टैली इआरपी 9 अब पेरोल अधिक सरल आणि बिजनेस के सारे अकाउंटींग फंक्शन को अधिक
कार्यक्षम बनाये गए है| इसका एडवांस वैधानिक फीचर और
प्रोसेस को बेहतर, तेज और सटीक बनाया गया है|
·
Excise for Manufacturers
टैली इआरपी9 उत्पाद शुक्ल से संबंधित व्यापार
की आवश्यक्ताओं के लिए एक पर्ण समाधान प्रदान करता है|
Definition
In Accounting in Hindi
अकाउन्टिंग सीखते समय हमें नियमित
रूप से कुछ शब्दों का प्रयोग करना पडता है। तो पहले हम इन शब्दों के अर्थ समझते है
–
1) Goods :- माल को बिजनेस में नियमित और मुख्य
रूप से खरीदा और बेचा जाता हैं। उदाहरण के लिए – एक किराना दुकान में साबुन, तेल आदि गुडस् हैं। मुनाफे की खरीद
और माल की बिक्री पर निर्भर करता है।
2) Assets :- ऐसेट्स कीमती चीजें होती है, जो बिजनेस के लिए आवश्यक होती है और
बिजनेस की संपत्ती होती है। उदाहरण के लिए- बिल्डींग, वेइकल, मशीनरी, फर्नीचर।
3) Liabilities :- लाइअबिलटीज़ दुसरों द्वारा बिजनेस
को दि जाती है है। उदाहरण के लिए – बैंक से लिया गया लोन, क्रेडिट पर माल की खरीद।
4) Capital :- कैपिटल याने पूंजी जो बिजनेस के
मालिक द्वारा किया गया निवेश होता है। यह कैपिटल कैश, गुडस् या ऐसेट्स के रूप में होता
है। जब की यह कैपिटल बिजनेस के मालिक द्वारा इन्वेस्ट किया गया है, तो बिजनेस के अनुसार यह कैपिटल भी
एक लाइअबिलटीज़ होती है|
5) Debtor:- जिससें बिजनेस को निश्चित राशि लेनी
होती है उसे डेब्टर कहा जाता है|
6) Creditor :- जिन्हे हमारे बिजनेस को निश्चित
राशि देनी होती है है उन्हे क्रेडिटर कहा जाता है।
7) Business Transaction :- एक वित्तीय घटना है जो बिजनेस से
संबंधित है और जिसका प्रभाव कंपनी की वित्तीय स्थिति पर पडता हैं। उदाहरण के लिए –
माल की खरीद, वेतन, क्रेडिट पर माल को बेचना।
8) Cash Transaction :- जो ट्रैन्ज़ैक्शन नकदी में किए जाते
है उन्हे कैश ट्रैन्ज़ैक्शन कहा जाता है।
9) Credit Transaction :- जो ट्रैन्ज़ैक्शन क्रेडिट पर किए
जाते है उन्हे क्रेडिट ट्रैन्ज़ैक्शन कहा जाता है।
10) Account:- अकाउन्ट किसी ट्रैन्ज़ैक्शन का
स्टेट्मन्ट होता है, जो किसी ऐसेट्स, लाइअबिलटीज़, आमदनी या खर्चे को प्रभावित करता है|
11) Ledger :- लेजर एक बुक होता है जिसमें पर्सनल, रियल या नॉमिनल के सभी अकाउन्ट
होते है, जिनकी एंन्ट्री जर्नल या सहायक पुस्तीका में होती है|
Ø Types of Accounts in Hindi
1) Personal Accounts:- सभी व्यक्ति, सोसायटी, ट्रस्ट, बैंक और कंपनियों के खाते पर्सनल
अकाउन्ट हैं। उदाहरण के लिए – Rahul A/c, Gayatri
Sales A/c, Subodh Traders A/c, Bank of Maharashtra A/c.
2) Real Accounts:- रियल अकाउन्ट में सभी ऐसेट्स और
गुडस् अकाउन्ट शामिल है। जैसे – Cash A/c, Furniture a/c,
Building A/c.
3) Nominal Accounts:- बिजनेस से संबंधित सभी आय और खर्च
नॉमिनल अकाउन्ट के अंतर्गत आते है। उदा – Salary A/c, Rent A/c,
Commission A/c, Advertisement A/c, Light Bill A/c.
Ø Account Rules In Hindi
ट्रैन्ज़ैक्शन करते समय, हमें डेबिट या क्रेडिट साइड का
फैसला करना होता है। इसके निम्नलिखित नियम हैं –
Personal Accounts:- Debit : The Receiver or
Debtor Credit : The Giver or Creditor
Real Accounts: Debit : What comes
in Credit : What goes out
Nominal Accounts: Debit : All Expenses
& Losses Credit : All Incomes & Gains
Ø Double Entry System of Book Keeping
प्रत्येक ट्रैन्ज़ैक्शन व्यापर पर
दो तरीके से प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए,
a) गुडस् कैश मे खरीदा – इस ट्रैन्ज़ैक्शन में गुडस् बिजनेस मे आ रहा
है लेकिन उसी समय बिजनेस से कैश बाहर जा रही है|
b) गुडस् क्रेडिट पर दत्ता ट्रेडर्स को बेचा – इस ट्रैन्ज़ैक्शन मे गुड्स
बिजनेस से बाहर जा रहा हैं आणि उसी समय दत्ता ट्रेडर्स हमारे कारोबार का देनदार हो
जाता है|
डबल एंट्री सिस्टम के अनुसार –
ऐसे सभी बिजनेस ट्रैन्ज़ैक्शन को अकाउंट मे रिकॉर्ड करते समय इसके दो पहलू होते है
Debit aspect (receiving) और Credit aspect (giving).
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